हमर नजरि

हमर नजरि

Tuesday, April 22, 2014

interview by -Prakash Jha of KRISHNA MISHRA (EKTA MAITHIL HERO)



sab bandhu s aagrah je ahi site k galat bhav s nai dekhbai (prakash jha, webmaster)

Saturday, June 18, 2011

निगमानंद के मामला मे कोर्ट जायत मिथिला विकास परिषद् >

निगमानंद के मामला मे कोर्ट जायत मिथिला विकास परिषद् >
कोलकाताक नामी संस्था मिथिला विकास परिषद् हरिद्वार मे अनशन के दौरान भेल स्वामी निगमानंद केर मृत्यु के बिरोध मे अदालत जयता, परिषद् के अध्यक्ष अशोक झा जन्ताब देलनि जे स्वामी निगमानंद जी के मूल नाम स्वरुप कुमार झा "गिरीश" छलनी एवंग हुनकर परिवारक कतेको सदस्य सभ कोलकता मे रही रहल छथि, हुनकर निधन पर परिषद् हुनकर परिजन केर उपस्थिति मे एकटा शोक सभा आयोजित केने छल, पुनः ३ जुलाई २०११ के महाजाति सदन केर सभागार मे एकटा सर्वभाषायी शोक सभा आयोजित करत, जाही मे स्वामी निगमानंद केर पिता - प्रकाश झा , तथा माँ - कल्पना झा के "गौरवश्री" स सम्मानित कायल जेतनी, विदित हो जे हरिद्वार मे गंगा और ओकर घाट के अनैतिक दोहन क विरोध मे अनशन करी रहल स्वामी निगमानंद केर मृत्यु अनशन के ११५ दिनक बाद एकटा स्थानीय अस्पताल मे भ गेल छलनि,

जाऊ अहाँ लोकनि अहि मे सामिल हेबई चाहि बा कोनो शोक सनेश pathaabay chaahi t nicha del mobile no. par sampark kari-+919831031987 ashok jha (president - MITHILA VIKAS PARISHAD, KOLKATA)

Thursday, February 10, 2011

मैथिली चेतना, कोलकाता के आह्वाहन

मैथिली चेतना, कोलकाता के आह्वाहन

दुलरा दयाल, राजा सलहेस, लोरिक, दिनाभद्री आ विद्यापतिक भाषा मैथिली भाषा । २०११ के जनगणना मे अपन मातृभाषा मैथिली लिखाऊ।
अहि मंत्र के संग कोलकाताक एकटा ई नव संस्था कोलकाता केर मैथिली साहित्यकार केर संस्था बनी के अपनेक माय बहिनक आँचर आ अपनेक लोकनि केर पाग के लाज बचाबई हेतु आयल अछि, अहि मे अपनेक लोकनि सहयोग करी आ मैथिली केर आठम अनुसूची मे अयला बादो, स्कुल सब स बंचित भाषा के प्राथमिक स्तर पर मैथिली शिक्षा के आने लेल हाथ-मे-हाथ बढ़ा के चलै के संकल्प ली...
अहि लेख के बेशी स बेशी लोक लग प्रचार-प्रसार करी । तखने मैथिली केर अस्तित्व बाँचत॥ आ सब गोटे के कहियोन।

नहि चलत नाच, नहि चलत भाषण।
बचाउ अपन मातृभाषा केर
जे राजनीती मे अछि फँसल ॥ (प्रकाश कुमार झा )

विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी.:-अशोक चौधरी - +919804904914 हिनका लोकनि के अहाँ सब के फ़ोन आ ई-मेल के इंतज़ार छनि, जे कतेक आदमी अहि स सहमत छि॥

Monday, January 31, 2011

कोल्कता पुस्तक मेला मे मैथिलि पोथिक अस्तित्व

कोल्कता -कोल्कता पुस्तक मेला आसाल मे पोथी प्रकाशक सब केर प्रदर्शनी हेतु आयोजन
कायल जायत अछि, मुदा अहि बेर सी-डी-कैसेट टेलीविजन चैनल आई- टी , आ इनकम टेक्स के स्टाल सब के उपस्थित सेहो देखल गेल , प्रवेश द्वार के डिजाईन जोरासंको ठाकुर बारी के रूप मे बनाओल गेल अछि , अही मेला मे बंग प्रदेश होई के नाते बंगला भाषा केर प्रधानता देखल गेल , हिंदी के सेहो गिनल चुनल स्टाल छल , अहि मेला मे सब स बेशी रबिन्द्रनाथ टैगोर आ प्रेम चंद के पोथी स सजल छल , बैद्यनाथ मिश्र यात्री (नागार्जुन) के सेहो पोथी देखल गेल , दोसर तरफ मैथिलि के ज्यो बात करी त भारतीय भाषा परिषद् केर स्टाल पर हरिमोहन झा रचित “खट्टर काका ” केर एकटा पोथी नजर आयल , साहित्य अकादमी केर स्टाल पर रबिन्द्रनाथ टैगोर के रबिन्द्र कथाबली मैथिलि पोथी नजर आयल , मुदा हिंदी आ बंगाली के बिभिन्न स्टाल par तकला स विद्यापति जी केर एकोटा पोथी नजर नहि आओल , तखन मन मे कचोट पहुंचल जे हम क त आ हमर मिथिला क त , कहै क लेल त मैथिलि सब अपना के लेखक -कवी कहैत छैथ , मुदा से सब की मंच पर काब्य पथ धरि सिमित छैथ , साहित्य अकादमी मे मैथिलि के बिशिष्ट स्थान अछि , मुदा मैथिलि स एहन अनदेखी किएक , कहै क लेल त सिर्फ कलकत्ता मे मैथिलि केर लगभग 25 टा कवी -लेखक छैथ , मुदा ओ लोकनि विभिन्न संस्था स जुरल छैथ आ ओकर कार्यक्रम मे मंच पर कविता पथ क सिमित भ जायत छैथ , आई काल्ही के नवतुरिया सब मंच पर कवी के आबिते हुर्दंग मचाब लागैत अछि , किएक त किछु कवी के हरेक मंच पर उपयोग कायल जायत अछि , किछु कवी के छोइर औरो कवी के कविता -कहानी -आ गजल मे फर्क तक नहि बुझ्हल छैन , किएक त साहित्यिक ज्ञान केर कमी छैन , मुदा संस्था द्वारा हिनकर लोकनिक नाम कवी के लिस्ट मे द देला स ओ अपना आप के कवी के रूप मे देखैत छैथ , ते आग्रह जे मैथिलि के संग अन्याय बंद करी आ एकर अस्तित्वा पर ध्यान दी आ जे नवतुरिया कविता नहि सुने चाहैत अछि , ओकरा लिखी आ सुनबा लेल अथक प्रयास करी टखने मैथिलि केर अस्तित्वा कायम रहत ।

Thursday, September 16, 2010

KOLKATA ME JANKI TODAY KER LOKARPAN

Kolkata me maithili aa hindi ke masik patrika ke subh lokarpan 29 august 2010 ke nagarjun park (tara sundari park) me kayal gel. Mithila vikas parishad ke taraf s aayojit bihar bidhan sabha adyaksh pandit tarakant jha ewang bihar maithili akadami ke navnyukt adhyaksh, maithili manch ke sarv bharatiya star ke manch udghoshak shree kamla kant jha ji ke sarbjanik samman samaroh ke awsar par “ janki today” ke lokarpan pandit tara kant jha ji ke haath s kayal gel,

Pandit tarakant jha ahi patrika ke dekh ati prasann bhela aa sampadak, sanraksh, ewang pura janki pariwaar ke apan bhashan kram me ashesh sadhubaad delani, aa bajlah je ee patrika mithila ke samajik, sanskritik bhawana ke hindi aa maithili bhashi tak pahunchaot, agu kahlani je ee patrika mithila maithili ke lel samang aa mukhpatra bani ke ubhral achhi, ekhunka samay me hindi aa maithili k anek patrika bahrait achhi, muda ee patrika hamra bujhane pratham hoyat je hindi aa maithili me sambad achhi, sab s nik ekar bishay-wastu achhi, je katau s chorayal nahi lekahak apan smaran k likhane achhi, ham ati prasann chhi je hindi aa maithili me rahito ekar nam maa mithila s jural shabd janki today rakahal gel achhi,

Kamla kant jha ji apan abhibhashan me kahlani je hamra bahut prasannta hoit achhi, jakhan kono mithila maithili s jural pothi bahrait achhi, hamra bujhane sayat ee pratham hindi aa maithili ke pothi achhi je darbhanga s bahrait achhi, ekar aalekh ewang, rang-roop bahut sundar dhang sajaol gel achhi, ham bahut aashirwad dai chhiyain je ee pragati path par agrasar rahe.

Manch par upasthit kolkata ker udyogpati aa maithil sevi lokani patrika dekh ati prasann bhela aa sampadak ke ashesh dhanyabad delani, Ahi me kamdev jha, yugal kishor jha, shankar jha, aloke nevatia, virendra mallik, san anek ganmanya byakti manchasth chhalah, ewang darshak drgha me kolkata ker maithil aa sahityakar lokani upasthit chhalah, shankar jha apan bhashan me kahlani je maithili me bahut patrika niklal achhi, muda pathkak kami s beshi din dhari nahi chali pabait achhi, muda ee patrika hindi aa maithili me dunu me achhi, aa ekar bishay-bastu besh sarahniy achhi, te ee safalta ker parcham fahraot. Yugal kishor jha kahlani je maithili me je patrika sab ekhan dhari bahrait achhi, tahi me thik dhang s bishay-bastuk ham sab thik dhang s nahi pabait chhi, muda hamra bujhane, ee patrika auro patrika ke sikh det, bahut sundar prayas.. kamdev jha kahlani je jyo ahina patrika sab bahrait rahat t mithila-maithili k bikas me ee sab astra-sastra k kaz karat, tahi me ee patrika ke ham sab hathiyaar bujhahi, kayak t Kendra aa rajya me baisal lok me bahut lok maithili kitab nahi bujhi paaot aa padhi paaot tee e hindi aa maithili me achhi, ee hamar loknik sanskrtik ke desh bhari me jan-jan tak pahunchaot.

Apan adhyakshiya bhashan me mithila vikas parishad ke adhyaksh ewang kushal rajneta sri ashok jhajee kahlani je ekhan tak ke samay me patrika sab kalkatta aa dilli s bahrait achhi, muda ee mithilak hridya sthali s prakashit hoyat achhi, hamra bujhane ee prataham masik patrika hoyat, ham garv karait chhi je hamar mithilak mait-pani s ekta nav aa paripurn patrika nikali rahal achhi, ham dhanyabad dait chhiyain “janki today” parivar ke je etek sundar bishay bastu s saja ke ee nikali rahal chhaith.

Monday, November 23, 2009

आई .बी.एन.७ के कार्यालय में शिवसेना द्वारा तोर-फॉर >..>>>>>

आई .बी.एन.७ के कार्यालय में शिवसेना द्वारा तोर-फॉर >..>>>>>

Friday, October 24, 2008

padya

प्रकाश झा, ग्राम+पो.- कठरा, भाया-पुटाई, थाना- मनीगाछी, दरभंगा, बिहार (भारत)

हमर मिथिलाक दर्शन 

मैथिल छी हम, मैथिली बजबामे अछि कोन लाज

देश हो वा परदेश ज्यो हम करै छी ओऽ तऽ काज

मिथिला के याद करबैछ सदिखन, विद्यापतिजी माथपर शोभैत पाग।

 हमरा लोकनिक पिता जनक, बहिन सीता, बहनोइ छथि राम

कमला-कोशी अछि चरण जकर पखारैत ओ अछि हमर मिथिला धाम।

 मैथिल कवि लोकनिक पोथीमे पढ़ैत रहए छी जे खिस्सा

मनमे उठैत रहैत अछि जिज्ञासा जे आओर कतेक बाकी अछि प्रशंसा

 कोइलिक कु-कू राग सुनि मोन म मारऽ...लगैत अछि टीस

तखने किछु काल बाद नम्र हृदय सऽ निकलैत अछि गोसाउनिक गीत

 विद्यापति, मण्डन, अयाची आऽ मैथिलपुत्र प्रदीप

हिनकर लोकनिक सुन्दर लेखन पढ़ि मोनमे जड़ैत अछि शब्दक दीप

 

एहि मातृभूमिपर पान, मखान, खराम कऽ अछि एकटा इतिहास

बाढ़-बोन के आड़ि-धुरपर बैस, नीक लगैछ मड़ुआ रोटी- सागक स्वाद।

 

चहु ओर हरियाली, घर फूसक, लच-लच करैत ओऽ खरहीक टाट।

भोरे सुइत-उठि कए बाधमे सुन्दर लगैत अछि शीतल घास।

घरक चारपर कुम्हर, कदीमा आओर सजमनिक अछि लत्ती पसरल

नजरि नञि लागए कोनो डैनियाहीके, ताहि लऽ एकटा खापैड़मे कारी-चून लेपल राखल।

पछबाड़ि कातक बारीमे राखल एकटा कटही गाड़ी पुरान

बाबू-कक्का चौकपर बैसल, बाबा धेने छथि दलान।

 

आब कतेक हम विवरण करबए, शब्दसँ अछि ठेक भरल

मिथिलांचलमे मैथिली भाषाक लेल छी हम मैथिल भिड़ल

 

मिथिला चित्रकला एखनो धरि केने अछि राज देश-विदेश

संगहि प्रकाशझाक ई प्रस्तुति पढ़ि बुझबइ एकटा छोट सनेस।

 

Monday, June 30, 2008

अपनेक सब मैथिल क मिथिलांचलक अहि चाहत्गर ब्लॉग पर स्वागत अछि (वेबमास्टर-प्रकाश झा)

Tuesday, April 29, 2008